दिव्या भारती एक ऐसा चेहरा, जो आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। दिव्या का हंम 25 फरवरी 1974 को मुंबई में हुआ था। अगर आज दिव्या जिंदा होती तो बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेसस में अपना नाम दर्ज करा चुकी होती। आज दिव्या के 44वें जन्मदिन पर हम उनसे और उनकी रहस्यमय मौत से जुडी कुछ अनसुनी बातें आपको बताने जा रहें हैं।
Divya Bharti |
90 का दशक और बॉलीवुड को मिला एक तोहफा
अभी 90 के दशक की शुरुआत ही हुई थी और बॉलीवुड को दिव्या भारती जैसी टैलेंटेड और खूबसूरत एक्ट्रेस का तोहफा मिल गया। ऐसा हम इसलिए कह रहें हैं क्यूंकि पिछले 30 सालों में ऐसी कोई एक्ट्रेस नहीं आई, जिसने 3 साल के करियर में दर्शकों के दिलों पर ऐसे राज किया हो। 1990 से 1993 का वो ज़माना, जब लड़कों से लेकर लड़कियों तक, हर कोई दिव्या भारती का दीवाना था।
16 साल में की करियर की शुरुआत
दिव्या ने अपना फ़िल्मी करियर मात्र 16 साल की उर्म में तेलुगु फिल्म बोब्बिली राजा से शुरू किया था। फिल्म हिट हुई और दिव्या तेलुगु सिनेमा की सुपरस्टार बन गयी। बोब्बिली राजा के बाद दिव्या ने दो साल तेलुगु सिनेमा में कई सुपरहिट फ़िल्में दी। तेलुगु फिल्मों की सुपरस्टार एक्ट्रेस बनने के बाद बॉलीवुड फिल्ममेकर्स की नज़रें दिव्या पर पड़ी। 1992 में रिलीज़ हुई विश्वात्मा,दिव्या की पहली बॉलीवुड फिल्म थी। इस फिल्म के बाद दिव्य के घर के बाहर बॉलीवुड फिल्ममेकर्स की लाइन लग गई। 1992 और 1993 में दिव्या ने दीवाना, शोला और शबनम, दिला का क्या कसूर जैसी कई सुपरहिट फ़िल्में दे डाली। लेकिन भगवान को शायद कुछ और मंजूर था। क्षत्रिय (1993) फिल्म के रिलीज़ होने के एक हफ्ते बाद दिव्या भारती की अचानक रहस्यमय मौत हो गई।
अचानक मौत से दहल गया बॉलीवुड
दिव्या की अचानक मौक से फिल्म इंडस्ट्री को जबरदस्त झटका लगा। तरह-तरह की बातें होने लगी। अपनी मौत के वक़्त दिव्या लगभग 6 से 8 फिल्मों में काम कर रहीं थी। अनिल कपूर की फिल्म लाडला की आधी से ज्यादा शूटिंग दिव्या कर चुकी थीं। दिव्या की मौत के बाद, श्रीदेवी ने उन्हें रीप्लेस किया। मोहरा, कर्तव्य, विजयपथ और आन्दोलन में भी दिव्या को रीप्लेस किया गया। कुछ फिल्मों को दिव्या की मौत के बाद बंद करना पड़ा।
आज दिव्या की रहस्यमय मौत को 25 साल हो चुके हैं। 25 साल बाद भी उनकी मौत का कारण नहीं पता लग सका है। आइए उनकी मौत से जुडी कुछ अनसुनी बातों के बारे में आपको बताते हैं:
मर्डर, आत्महत्या या फिर एक हादसा
5 अप्रैल 1993 को तुलसी अपार्टमेंट, वेर्सोवा में पाँचवी मंजिल पर बने अपने फ्लैट की खिलड़ी से गिरकर दिव्या भारती की मौत हुई थी। इस हादसे ने पूरे बॉलीवुड को हिला दिया था। दिव्या की मौत का कारण आज तक पता नहीं चला है। उस समय मीडिया में तरह-तरह की ख़बरें आ रहीं थी। किसी का कहना था ये मर्डर है, कोई इसे आत्माहत्या कह रहा था तो कोई इसे दिव्या के पति साजिद नदियाडवाला और अंडरवर्ल्ड से भी जोड़ रहा था। दिव्या की मौत के पाँच साल बाद मुंबई पुलिस ने सबूतों के अभाव में इसे एक हादसा घोषित कर दिया।
आज भी किसी की नहीं पता मौत की वजह
मौत के वक़्त दिव्या अपने करियर की बुलंदियों पर थी। पूरा देश उनका दीवाना था। उनकी अचानक हुई इस रहस्यमय मौत पर उनके फैन्स को विश्वास नहीं हो रहा था।
5 अप्रैल 1993 की काली रात
अपनी मौत के दिन दिव्या मुंबई में अपने लिए नए अपार्टमेंट की बुकिंग की थी। जिस दिन दिव्या की मौत हुई थी, उस दिन दिव्या को चेन्नई से सीधा हैदराबाद जाना था। लेकिन अपने नए फ्लैट का मामला सुलझाने और पैर में चोट के चलते दिव्या ने अपना प्लान कैंसिल कर दिया और चेन्नई से मुंबई चली आयी। उसी दिन दिव्या ने अपनी डिज़ाइनर फ्रेंड नीता लुल्ला के साथ रात में मीटिग भी रखी थी।
मौत से कुछ समय पहले
रात के करीब 10 बजे नीता लुल्ला और उनके पति श्याम लुल्ला, दिव्या से मिलने उनके घर पहुंचे। दिव्या ने दोनों का स्वागत किया। तीनों के बीच काफी समय बात हुई और खाना-पीना भी चलता रहा। उस समय दिव्या की नौकरानी, अमृता भी वहां मौजूद थी। दिव्या और अमृता के बीच भी लगातार बात हो रही थी। नीता और उनके पति टीवी देखने में व्यस्त थे। अमृता किचन में थी और दिव्या, उससे तेज आवाज़ में बात करते-करते खिड़की की तरफ पहुँच गयी।
दिव्या के इस दुनिया में आखरी पल
दिव्या के कमरे में एक ही खिड़की थी, जिसमें कोई ग्रिल नहीं थी। उस खिल्दी के नीचे फ्लैट की पार्किंग थी। उस रात पार्किंग में कोई भी कार नहीं होने की वजह से धुत्त अँधेरा था। अमृता से बात करते-करते दिव्या ने आराम करने के लिए उस खिलड़ी का सहारा लिया। खिलड़ी पर आराम करते हुए, दिव्या का हाथ फिसल गया और वो सीधा निचे गिर पड़ी।
दिव्या भारती की आखरी सांसें
5वीं मजिल से गिरने पड़ किसी की भी रूह काँप सकती है। गिरने से दिव्या का काफी खून बह गया था और उनके सर पर अंदरूनी चोटें भी आई थीं। इतना खून बहने के बावजूद दिव्या जिंदा थी और उन्हें कूपर हॉस्पिटल ले जाया गया। अंदरूनी चोटें और बहुत ज्यादा खून बहने के कारण हॉस्पिटल में उनकी मौत हो गई।
उनकी मौत से हर व्यक्ति सकते में आ गया था। आज भी मौत का कारण स्पष्ट नहीं है। 1998 में मुंबई पुलिस ने इसे एक्सीडेंटल डेथ करार दिया था। अपने करियर के चरम पर इस तरह से मौत होना वाकई काफी सवाल खड़ा करता है।
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