कर्नाटक के एक कोर्ट ने कंगना रनोट के खिलाफ एफआईआर के निर्देश दिए, आरोप साबित हुए तो हो सकती है 3 साल तक की सजा

किसानों के अपमान मामले में कर्नाटक के तुमकुर जिले के एक जुडीशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास कोर्ट ने कंगना रनोट के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। क्याथासंदरा थाने के निरीक्षक को अदालत ने यह निर्देश वकील रमेश नाइक द्वारा दर्ज कराई शिकायत के आधार पर दिए हैं। राम नाइक ने शिकायत सेक्शन 156 (3) के तहत दर्ज कराई थी।

कंगना के खिलाफ इन सेक्शन्स के तहत कार्रवाई की मांग

राम नाइक ने एक्ट्रेस पर कृषि बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को आतंकवादी कहकर उनका अपमान करने का आरोप लगाया है। उन्होंने एक्ट्रेस के खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 153 A (धर्म, भाषा, नस्ल के आधार पर नफरत फैलाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) ,108 (अपराध को शह देना) के तहत एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की मांग की थी।

सेक्शन 153 A में तीन साल की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। अगर अपराध किसी धार्मिक स्थल पर होता है तो सजा 5 साल भी हो सकती है। वहीं, सेक्शन 504 में दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

क्या कंगना ने वाकई किसानों को आतंकी कहा था?
पिछले महीने एक अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट ने अपनी खबर में यह दावा किया था कि कंगना ने एग्री मार्केटिंग बिल का विरोध कर रहे किसानों को आतंकवादी कहा है। हालांकि, एक्ट्रेस ने इसे लेकर वेबसाइट को फटकार लगा दी थी। कंगना ने अपना ओरिजिनल ट्वीट साझा करते हुए चुनौती दी थी कि अगर कोई यह साबित कर दे कि उन्होंने किसानों को आतंकवादी कहा है तो वे ट्विटर छोड़ने को तैयार हैं।

कंगना ने अपने ट्वीट में 'पप्पू की चंपू सेना' का इस्तेमाल किया था। हालांकि, उन्होंने यह किसके लिए लिखा था, वह तो स्पष्ट नहीं। लेकिन ट्विटर यूजर्स ने कयास लगाए थे कि उन्होंने राहुल गांधी के लिए पप्पू शब्द का यूज किया था।

न्यूज वेबसाइट पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया था

कंगना ने अपने एक अन्य ट्वीट में न्यूज वेबसाइट पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने लिखा था, "जो लोग सीएए के बारे में झूठ फैला रहे थे, जो दंगों का कारण बने। वही लोग अब किसान बिल के खिलाफ झूठ फैला रहे हैं और देश में आतंक की वजह बन रहे हैं। वे टेररिस्ट हैं। आप बखूबी जानते हैं कि मैंने क्या कहा था। लेकिन, झूठ फैलाने में आपको खुशी मिलती है।"



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कंगना रनोट पहले ही यह सफाई दे चुकी हैं कि अपने ट्वीट में उन्होंने आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल किसानों के लिए नहीं किया था।


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